Electronic Payment System Kya Kya Hai | Types Of Electronic Payment System in Hindi

Electronic Payment System (इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम) - 

  • लेकिन जब पेमेंट में केवल आंकड़ों तथा डिजिटल सिग्नल का ही ट्रांसफर होता है तो इस प्रकार के पेमेंट को इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम कहा जाता है। आसान भाषा में कहां जाए तो चेक या नकदी के उपयोग के बिना इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भुगतान के इस तरीके को ई-कॉमर्स भुगतान प्रणाली कहा जाता है और इसे ऑनलाइन या इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणालियों के रूप में भी जाना जाता है। पेपरलेस ई-कॉमर्स भुगतान ने कागज के काम लेनदेन की लागत और कर्मियों की लागत को कम करके भुगतान प्रोसेसिंग में क्रांति ला दी है , खासकर आ जब हमारे जीवन का हर पहलू तेजी से होता है। इंटरनेट आधारित बैंकिंग और खरीदारी के बढ़ते उपयोग ने विभिन्न ई - कॉमर्स भुगतान प्रणालियों में वृद्धि की है और सुरक्षित ई-भुगतान लेनदेन को बढ़ाने , सुधारने और प्रदान करने के लिए तकनीकी विकसित की गई है। इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट आपको अपने पसंदीदा 
  • ऑनलाइन स्टोर के माध्यम से मोबाइल से लेकर शुज तक सब कुछ खरीदने या ऑनलाइन इलेक्ट्रिसिटी या केबल बिल का पेमेंट करने की अनुमति देता है । इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम में पेमेंट करने के बहुत से तरीके हैं जिन का उपयोग अधिक किया जाता है और इससे लोगों को बहुत से फायदे भी हैं । जिस तरह ई - कॉमर्स में ग्राहक और विक्रेता आमने - सामने नहीं होते हैं उसी तरह से इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में पेमेंट करने के लिए ग्राहक और विक्रेता का आमने सामने होना जरूरी नहीं है । 

Electronic Payment System in Hindi 

आर.टी.जी.एस (RTGS) -

आर. टी. जी. एस की फुल फॉर्म (Real Time Gross Settlement) होता है हिंदी में रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट यह सिस्टम व्यक्तियों और कंपनी को दो बैंकों के बीच रूपए (फंड) ट्रांसफर करने की सुविधा प्रदान करता है आर.टी.जी. एस एक बैंक से दूसरे बैंक में धन को ट्रांसफर करने का एक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम है, जिसमें धन का ट्रांसफर वास्तविक समय पर होता है।  

इसमें जैसे ही लाभार्थी (बेनिफिशियरी) ग्राहक की जानकारी सही-सही भर कर फंड ट्रांसफर करते हैं तो तुरंत ही वह फंड ट्रांसफर होकर लाभार्थी (बेनिफिशियरी) ग्राहक के अकाउन्ट में भेज (क्रेडिट) दिया जाता है। इसमें लगभग 30 मिनिट के अंदर लेन-देन (ट्रांजैक्शन) कंप्लीट हो जाता है

आर. टी. जी. एस सिस्टम का उपयोग आम तौर पर उच्च मूल्य वाले पैसे के लेनदेन के लिए किया जाता है जिसके लिए तत्काल समाशोधन की आवश्यकता होती है। आर.टी.जी.एस के द्वारा आप कम से कम 2,00,000 रूपए तक ट्रांसफर कर सकते हैं उससे कम की रकम (अमाउंट) का इसमे लेन-देन ट्रांजैक्शन नहीं होता है। आर.टी.जी.एस के द्वारा ट्रांजैक्शन के लिए कोई अधिकतम रूपए की कोई लिमिट नहीं है, आप जितना चाहे उतना फंड ट्रांसफर कर सकते हैं, जब तक कि आपका बैंक ब्रांच आपके लिए लिमिट न तय कर दे।

How to use RTGS (आर.टी.जी.एस का उपयोग कैसे करें) -

आर. टी. जी. एस का उपयोग हम दो तरह से कर सकते हैं एक है ऑनलाइन तरीका और दूसरा है ऑफ़लाइन तरीका ।

Online RTGS Mode (ऑनलाइन आरटीजीएस तरीका) -

आर.टी.जी.एस में ऑनलाइन तरीके का उपयोग इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से कर सकते हैं। इसके अधीन यदि आपको किसी शख़्स को रूपए (फंड) भेजना (ट्रांसफर) करना है उसे पेई Payee अथवा बेनिफिशियरी कस्टमर आई डी (Beneficiary Customer Id) के रूप में अपने अकाउंट में जोड़ना पड़ता होता है जहाँ आपको उस शख्स के बारे में में निम्नलिखित जानकारी भरनी होती है। बेनिफिशियरी कस्टमर का नाम व बैंक अकॉउंट नम्बर ब्रांच का नाम, इंडियन फाइनेंशियल सिस्टम कोड (IFSC)

उसके बाद बैंक उस शख्स की जानकारी को चेक करता है। इस जानकारी को चेक करने में बैंक को लगभग 12-24 घंटे का समय लगता है, बैंक के द्वारा जब चेकिंग प्रोसेस पूरी तरह से पूर्ण हो जाती है तब बैंक के द्वारा लाभार्थी कस्टमर को एक्टिवटे कर दिया जाता है। जिसके बाद आप उस लाभार्थी कस्टमर को फंड ट्रांसफर कर सकते हैं। 

Offline RTGS Method (ऑफलाइन आरटीजीएस तरीका) -

आर.टी.जी.एस में यदि आपको ऑन लाइन तरीके का उपयोग करना नहीं आता है तो आप ऑफ लाइन तरीके का उपयोग कर सकते है, लेकिन इसके लिए आपको बैंक ब्रांच में जाकर ठीक उसी तरह से एक इंस्ट्रक्शन स्लिप भरनी होती है, जिस तरह से आप चेक डिपॉजिट करते समय सामान्य रूप फॉर्म भरते हैं। जैसे ही आप इंस्ट्रक्शन स्लिप भरके जमा करते हैं, और इसके बाद बैंक उस इंस्ट्रक्शन स्लिप में भरी गई जानकारी को अपने सेंट्रल प्रोसेसिंग सिस्टम में जोड़ कर देता है और फिर जानकारी सेंट्रल प्रोसेसिंग सिस्टम पर जमा करते ही उसे आर.बी.आई को भेज दी जाती है।

सारी ट्रांजैक्शन को प्रॉसेस कर के कम्पलीट करता है और भेजने वाले बैंक के अकाउंट से अमाउंट को डेबिट करके जिस बैंक को आर.टी.जी.एस किया गया है उसके अकाउंट में उस अमाउंट को क्रेडिट कर देता है।

NEFT (एन.ई.एफ.टी)-

एन.ई.एफ.टी फुल फॉर्म National Electronic Fund Transfer कहते है हिंदी में नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फण्ड ट्रांसफर। एन.ई.एफ.टी फण्ड ट्रांसफर का एक आसान और सरल तरीका है इसके माध्यम से देशभर में किसी भी बैंक के अकाउंट में पैसे भेज सकते है। एन.ई.एफ.टी में पैसे का ट्रांसफर आरटीजीएस की तरह रियल टाइम में ना होकर प्रति घंटा आधार (आवरली बेसिस) पर होता है। बल्कि उन सभी ट्रांजिक्शन को एक घण्टे के बैच में प्रोसेस किया जाता है। परिणाम स्वरूप एन.ई.एफ.टी के माध्यम से फंड ट्रांसफर करने पर 0 से 120 मिनट तक का समय लग सकता है।

सामान्यत: एन.ई.एफ. टी का प्रयोग  एन. ई. एफ. टी का प्रयोग तब किया जाता है जब ट्रांसफर किया जा रहा एमाउंट 2 लाख से कम हो। एन.ई.एफ.टी के माध्यम से आप चाहे तो 1 रूपए का भी फंड ट्रांसफर कर सकते हैं।

लेकिन कई बार परिस्थिति ऐसी हो जाती है जहां आपको एक ऐसे बैंक ब्रांच से अमाउंट ट्रांसफर करना होता है, जिसमें आपका बैंक अकाउंट नहीं होता, तो इस तरह के बैंक ब्रांच के माध्यम से आप एक बार में अधिकतम 50000 रूपए एमाउंट तक का ही एन. ई. एफ. टी कर सकते हैं।

एन.ई.एफ.टी में आरटीजीएस की तरह से पैसे दो तरह से ट्रांसफर कर सकते है एक तो ऑफलाइन यानी इसमें आपको अपनी बैंक ब्रांच में जाकर एन.ई.एफ.टी का फॉर्म लेकर उसमें सभी माध्यम से पैसे भेज सकते है। इसके लिए आपको आपको पैसे प्राप्त करने वाले व्यक्ति को एड न्यू बेनिफिशियरी में जाकर बेनिफिशियरी की डिटेल ऐड करनी होती है।

अब आप फंड ट्रांसफर के लिए एन.ई.एफ.टी ऑप्सन चुने और वो अकाउंट सेलेक्ट करे जिसे पैसे भेजने है । भेजने वाले बैंक के अकाउंट से अमाउंट को डेबिट करके जिस बैंक को एन.ई.एफ.टी किया गया है उसके अकाउंट में उस अमाउंट को क्रेडिट कर देता है । 

IMPS (आई.एम. पी. एस.) -

आई. एम. पी. एस फुल फॉर्म Immediate Payment Servicel हिंदी में तत्काल भुगतान सेवा कहा जाता है।

आई. एम. पी. एस. एक ऐसी बैंकिंग भुगतान सेवा है, जिससे आप रियल टाइम में पैसों को एक खाते से दूसरे खाते में भेज सकते हैं। आई.एम.पी.एस. के माध्यम से किसी भी व्यक्ति को कभी भी तत्काल पैसे भेजे जा सकते है।

भी ussd कोड या एसएमएस के माध्यम से भी इसका उपयोग कर सकते है। 

आई.एम.पी.एस. के द्वारा फण्ड ट्रांसफर कैसे करें -

 आई.एम.पी.एस. के उपयोग के लिए आपको मोबाइल बैंकिंग एक्टिवेट करनी होगी और निम्न तरीके द्वारा फंड ट्रांसफर किया जाता है । 

IMPS  How to transfer funds via (बैंक अकाउंट नंबर और IFSC कोड के द्वारा) -

इसके लिए आपको लाभार्थी (बेनिफिशियरी) का बैंक अकाउंट नंबर और IFSC कोड पता होना चाहिए। मोबाइल बैंकिंग एप्प में लॉगइन कर IMPS using Bank Account Number and IFSC कोड वाला आप्शन चुने और लाभार्थी (बेनिफिशियरी) का बैंक अकॉउंट नम्बर और IFSC कोड और amount डालकर submit पर क्लिक करे। उसके बाद अपना OTP/MPIN डाले आपको successfullly fund transfer का message दिखाई देगा ।

मोबाइल नंबर और MMID के द्वारा भी किया जाता हैं।


इस आप्शन के द्वारा आप लाभार्थी (बेनिफिशियरी) को उसके मोबाइल नंबर और MMID के द्वारा पैसे भेज सकते है। 

By ATM (ATM के द्वारा) -

ATM से आई. एम. पी. एस. करने के लिए आप जिसे भी पैसे का भुगतान करना चाहते है उसका डेबिट कार्ड का नंबर होना बहुत जरुरी है। आई. एम. पी. एस. करने के लिए सबसे पहले अपने डेबिट कार्ड को एटीएम में स्वाइप करे, तत्पश्चात अपने एटीएम की पिन डाले पिन डालने के बाद फंड ट्रांसफर के विकल्प का चयन करे और आई. एम. पी. एस. के Option पर जाये। आगे के निर्देशों का पालन करें जिसमें आपका मोबाइल नंबर, जिस व्यक्ति को पैसे ट्रांसफर करना है उसका मोबाइल नंबर और MMID नंबर इंटर करना होगा।

एस. एम. एस के द्वारा -

अगर आपके आई. एम. पी. एस. सर्विस का इस्तेमाल करके एसएमएस द्वारा रुपए भेज सकते हैं। आई. एम. पी. एस.

Electronic Payment System | ईपीएस प्रकार और लाभ |
इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली


एक Electronic Payment System (ईपीएस) एक तंत्र को संदर्भित करती है जो व्यक्तियों, व्यवसायों और अन्य संस्थाओं को भौतिक नकदी या कागजी जांच की आवश्यकता के बिना धन हस्तांतरण या इलेक्ट्रॉनिक रूप से भुगतान करने की अनुमति देती है।


Credit card, debit card, e-balt, mobile bhugtan और ऑनलाइन बैंकिंग हस्तांतरण सहित विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक भुगतान सिस्टम उपलब्ध हैं।


Credit card, debit card सबसे लोकप्रिय इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणालियां हैं, जो उपयोगकर्ताओं को पॉइंट-ऑफ-सेल (पीओएस) टर्मिनल में स्वाइप या कार्ड डालकर खरीदारी और भुगतान करने की अनुमति देती हैं। ई-वॉलेट या डिजिटल वॉलेट, जैसे कि पेपाल, ऐप्पल पे या Google वॉलेट, उपयोगकर्ताओं को डिजिटल रूप से पैसे जमा करने और स्थानांतरित करने में सक्षम बनाता है।


मोबाइल भुगतान, जैसे भुगतान करने या पैसे ट्रांसफर करने के लिए स्मार्टफोन का उपयोग तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। इसके अतिरिक्त, ऑनलाइन बैंकिंग हस्तांतरण उपयोगकर्ताओं को खातों के बीच धन हस्तांतरण करने या ऑनलाइन बैंकिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से भुगतान करने की अनुमति देता है।


Electronic Payment System सुविधा, दक्षता और सुरक्षा सहित कई लाभ प्रदान करती है। उपयोगकर्ता कभी भी, कहीं भी भुगतान कर सकते हैं और नकद या चेक ले जाने की आवश्यकता से बच सकते हैं। इसके अतिरिक्त, इलेक्ट्रॉनिक भुगतानों को त्वरित रूप से संसाधित किया जा सकता है, और उपयोगकर्ता अपने लेनदेन की तत्काल सूचनाएं प्राप्त कर सकते हैं।


हालांकि, Electronic Payment System धोखाधड़ी, हैकिंग और पहचान की चोरी सहित कुछ जोखिम भी पेश कर सकती हैं। इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली का उपयोग करते समय उपयोगकर्ताओं को अपनी व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी की सुरक्षा के लिए कदम उठाने चाहिए, जैसे कि सुरक्षित पासवर्ड का उपयोग करना, दो-कारक प्रमाणीकरण को सक्षम करना और नियमित रूप से उनकी खाता गतिविधि की निगरानी करना।


Types of electronic payment system in Hindi


इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणालियों के विभिन्न प्रकार हैं-


1. Email currency or digital currency (ईमेल मुद्रा या डिजिटल मुद्रा) - 

जिसमें लोग इलेक्ट्रॉनिक रूप से धनराशि का भुगतान कर सकते हैं।


2. Credit Card Payment System (क्रेडिट कार्ड भुगतान प्रणाली) - 

जिसमें उपयोगकर्ता अपने क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके भुगतान कर सकते हैं।


3. Debit Card Payment System (डेबिट कार्ड भुगतान प्रणाली) - 

जिसमें उपयोगकर्ता अपने बैंक खाते से भुगतान करते हैं।


4. Net Banking Payment System (नेट बैंकिंग भुगतान प्रणाली) - 

जिसमें उपयोगकर्ता इंटरनेट के माध्यम से अपने बैंक खाते से भुगतान करते हैं।


5. Mobile Payment System (मोबाइल भुगतान प्रणाली) - 

जिसमें उपयोगकर्ता अपने मोबाइल फोन का उपयोग करके भुगतान कर सकते हैं।


6. E-Wallet Payment System ई-वॉलेट भुगतान प्रणाली - 

जिसमें उपयोगकर्ता ई-वॉलेट के माध्यम से भुगतान करते हैं जो उनके बैंक खाते से जुड़ा होता है।


7. EFT Payment System (ईएफटी भुगतान प्रणाली) - 

जिसमें उपयोगकर्ता इंटरनेट के माध्यम से अपने बैंक खाते से भुगतान करते हैं।


Advantages of Electronic Payment System in Hindi |इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली के लाभ हिंदी में


इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणालियाँ कई लाभ प्रदान करती हैं, जिनमें शामिल हैं-


1. Convenience (सुविधा)-

इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणालियाँ नकद या चेक की आवश्यकता के बिना भुगतान करने का तेज़ और सुविधाजनक तरीका प्रदान करती हैं।  भुगतान कहीं से भी, किसी भी समय, और कंप्यूटर या मोबाइल डिवाइस पर कुछ ही क्लिक के साथ किया जा सकता है।


2. Increased security (बढ़ी हुई सुरक्षा)-

इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणालियाँ एन्क्रिप्शन, पासवर्ड सुरक्षा और दो-कारक प्रमाणीकरण जैसी उन्नत सुरक्षा सुविधाएँ प्रदान करती हैं, जो धोखाधड़ी और अनधिकृत पहुँच के जोखिम को कम करती हैं।


3. Faster transactions (तेज़ लेन-देन)-

पारंपरिक तरीकों की तुलना में इलेक्ट्रॉनिक भुगतान बहुत तेज़ी से संसाधित होते हैं, जिन्हें साफ़ होने में कई दिन लग सकते हैं।  यह उन व्यवसायों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है जिन्हें जल्दी से भुगतान प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।


4. Lower costs (कम लागत)-

पारंपरिक भुगतान विधियों जैसे चेक या वायर ट्रांसफर की तुलना में इलेक्ट्रॉनिक भुगतान बहुत सस्ता हो सकता है, जिसमें उच्च लेनदेन शुल्क और प्रसंस्करण लागत शामिल हो सकती है।


5. Improved record keeping (बेहतर रिकॉर्ड कीपिंग)-

इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली लेन-देन का विस्तृत रिकॉर्ड प्रदान करती है, जिसे आसानी से एक्सेस और ट्रैक किया जा सकता है।  यह उन व्यवसायों के लिए विशेष रूप से उपयोगी हो सकता है जिन्हें अपने वित्त पर नज़र रखने की आवश्यकता होती है।


6. Access to a wider customer base (व्यापक ग्राहक आधार तक पहुंच)-

इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणालियां व्यवसायों को व्यापक ग्राहक आधार तक पहुंचने में मदद कर सकती हैं, जिनमें वे लोग भी शामिल हैं जो इलेक्ट्रॉनिक रूप से भुगतान करना पसंद करते हैं या जो अन्य देशों में स्थित हैं।


इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणालियाँ कई प्रकार के लाभ प्रदान करती हैं जो व्यवसायों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए लेनदेन को तेज़, अधिक सुरक्षित और अधिक सुविधाजनक बना सकती हैं।


Disadvantage of electronic payment system in Hindi|इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली का नुकसान


इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली के कुछ नुकसान हैं जो निम्न हैं -


1. Cyber ​​crimes (साइबर अपराध)-

इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली ऑनलाइन होती है जिससे साइबर अपराधों का खतरा बना रहता है। चोरी, धोखाधड़ी और ऑनलाइन फ्रॉड जैसी गतिविधियों का खतरा होता है।


2. Network Security (नेटवर्क असुरक्षा)-

इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली का उपयोग करने के लिए इंटरनेट की आवश्यकता होती है। अगर नेटवर्क असुरक्षित हो तो इससे आपकी निजी जानकारी चोरी हो सकती है।


3. Technical Problems (तकनीकी समस्याएं)-

इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली में तकनीकी समस्याएं भी हो सकती हैं जैसे कि नेटवर्क संबंधी समस्या, सर्वर डाउन हो जाना या सॉफ्टवेयर अद्यतन की समस्या। इससे भुगतान का समय बढ़ सकता है और उपयोगकर्ता को परेशानी हो सकती है।


4. Case of Disputes (विवादों का मामला)-

 

इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली में विवाद के मामले भी हो सकते हैं। इसमें उपयोगकर्ता के खाते से धन निकालने या भुगतान को रद्द करने संबंधित जानकारी उपलब्ध होती है।

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