ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है What Is Operating System In Hindi,ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य, एवं प्रकार
ऑपरेटिंग सिस्टम, कंप्यूटर का एक आवश्यक तत्व है ऑपरेटिंग सिस्टम का प्राथमिक उद्देश्य कंप्यूटर हार्डवेयर का आसान और सुविधाजनक ढंग से प्रयोग करना है।
OPERATING SYSTEM |
ऑपरेटिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर ऐसा सिस्टम सॉफ्टवेयर है, जो कंप्यूटर के हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर के मध्य संबंध स्थापित कर, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को नियंत्रित करता है। इसे इस प्रकार समझते हैं, माना कि हम एक कार में पीछे की सीट पर बैठ कर कहीं जा रहे हैं, तो कार का ड्राइवर ऑपरेटिंग सिस्टम का कार्य करता है जो हमें हमारे द्वारा बताए गए स्थान पर कार को चला कर ले जाता है। कंप्यूटर का स्विच ऑन होने पर कंप्यूटर को कार्य करने योग्य बनाने के लिए, विशेष प्रोग्राम की आवश्यकता होती है, ताकि कंप्यूटर, प्रयोग करता द्वारा दिए जाने वाले निर्देशों को समझ कर उनके अनुरूप कार्य कर सकें। इन सॉफ्टवेयर की सहायता से कंप्यूटर से जुड़ी इनपुट एवं आउटपुट युक्तियों को चेक करने एवं उनसे संबंध स्थापित करने के बाद इन्हें कार्य योग्य बनाने के काम आते हैं यदि इन युक्तियों में कुछ अशुद्धि है, तोइन सॉफ्टवेयर के द्वारा कंप्यूटर अशुद्धि की जानकारी मॉनिटर स्क्रीन पर प्रदर्शित करके अथवा विशिष्ट ध्वनि संकेतों द्वारा प्रयोग करता को देता है। ये सॉफ्टवेयर्स ऑपरेटिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर कहलाते हैं।
परिभाषिक शब्दों में, ऑपरेटिंग सिस्टम एक सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software) हैं, जो कंप्यूटर सिस्टम के हार्डवेयर रिसोर्सेस, जैसे - मेमोरी और इनपुट /आउटपुट डिवाइसेज को व्यवस्थित (Manage) करता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम, कंप्यूटर सिस्टम के प्रत्येक रिसोर्स की स्थिति (Status)का लेखा-जोखा रखता है, और यह निर्णय भी लेता है, कि किसका कब और कितनी देर के लिए कंप्यूटर संसाधनों (Resources) पर नियंत्रण (Control)होगा। एक कंप्यूटर सिस्टम के मुख्य रूप से चार घटक (Components) होते हैं - 1 हार्डवेयर (Hardware),2 ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System), 3 एप्लीकेशन प्रोग्राम्स (Application Programs), 4 यूजेस (users )।
उपरोक्त चित्र में, कंप्यूटर सिस्टम में ऑपरेटिंग सिस्टम की स्थिति (Position)को दर्शाया गया है। इस चित्र से यह स्पष्ट होता है,कि ऑपरेटिंग सिस्टम सीधे-सीधे कंप्यूटर हार्डवेयर रिसोर्सेज को नियंत्रित करता है और अन्य प्रोग्राम्स, ऑपरेटिंग सिस्टम के माध्यम से कंप्यूटर सिस्टम के रिसोर्सेज को एक्सेस (Access) करते हैं।
Operating system |
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि और वेटिंग सिस्टम को प्रयोग करता यह बम कंप्यूटर के मध्य संवाद स्थापित करने, कंप्यूटर के हार्डवेयर एवं अन्य सॉफ्टवेयर ओं को नियंत्रित करने एवं स्मृति आदि कार्यों में होने वाली प्रक्रिया को सभी प्रकार कार्य कराने का कार्य करता है। कुछ विशिष्ट ऑपरेटिंग सिस्टम MS - DOS (Microsoft Disk Operating System), Windows 9X, Windows XP, Windows- NT Unix ,Linux हैं।
ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य Operating System functions
परिभाषा (Definition)
Operating System -
हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर (Hardware And software)के बीच के संबंध को ऑपरेटिंग सिस्टम Operating System)कहते हैं। Operating System, Hardware तथा user programs के मध्य interface का कार्य करता है, तथा Program के क्रियान्वयन में Help करता है।
Operating System एक Computer Control programs हैं। जिस तरह traffic police अपने area मै traffic का control रखता हैं। उसी तरह OS भी Computer पर Control रखता हैं। यह Files का Management करता है, तथा बिभिन्न Hardware Devices जैसे Printer,monitor etc. को check कर पूरे Computer पर Control रखने में help peovide करता है।Computer,user से Direct Communication नहीं कर सकता हैं। इसलिय उसे किसी प्रकार का Communication system चाहिए होता है। जो तब मैं operating system देता है। अत: OS विशेष Progamme का group है। यह programme user के instruction और command को computer aur aur machine language मे translate करते है, और उसके बाद Result को machine language से user की language में परिवर्तित करते हैं।
OS एक ऐसा program हैं, जो computer को instruction देता हैं, कि इसके कंप्यूटर के साथ कैसे Work किया जाय।OS Computer का एक important part हैं। क्योंकि कि यह अन्य सभी application programme को computer मैं Execute करता है। जैसे ही यूजर कंप्यूटर स्टार्ट करता है।, कंप्यूटर स्टार्ट होने के तुरंत बाद अपनी internal device जैसे ROM,RAM एवं विभिन्न hardware device जैसे keyboard, mouse, monitor, printer etc. को check करता है, कि यह ठीक है कार्य कर रहे हैं अथवा नहीं। यह जांच पूरी होने के बाद OS Computer की memory में load हों जाता हैं, और computer को boot होने मै मदद करता है।
Operating System के दो भाग होते हैं- शैल (Shell)एवं कार्नेल (karnel) । शैल,user द्वारा application software की मदद से दिए गए निर्देशों को समझ कर उन्हें अपनी भाषा (Language) में बदलकर कार्नेल तक पहुंचाने का कार्य करता है। वास्तविक Processing का कार्य कार्नेल करता है। Commands को यह क्रमानुसार व्यवस्थित करके एक के पश्चात एक C.P.U. तक पहुंचाता है।
इस प्रकार एक Computer System के लिए Operating System की अहम भूमिका है।
Operating system की प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं -
1. प्रोग्राम को लोड एवं क्रियान्वित करना -
ऑपरेटिंग सिस्टम(Operating System) हमें सिस्टम एवं एप्लीकेशन प्रोग्रामों को मेमोरी में लोड कर के क्रियान्वयन के दौरान आवश्यक सपोर्टिंग(supporting) फाइलें भी प्रदान करता है।
2. प्रोसेस मैनेजमेंट (Process Management) -
प्रोसेस मैनेजमेंट की संदर्भ में ऑपरेटिंग सिस्टम का Creation, Deletion, Suspetion एवं Resumption आदि संपन्न कराना।
3.मेन मेमोरी प्रबंधन (Maine Memory Management) -
इसके अंतर्गत निम्नलिखित कार्य किए जाते हैं-
(i) मेमोरी का कौन सा भाग इस समय प्रोग्राम में है, एवं उसे किस प्रोसेस में प्रोग्राम में लिया हुआ है, आदि सूचनाएं ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) के पास होते हैं। (ii) आवश्यकता अनुसार मेमोरी स्पेस को Allocate एवं Deallocate करना है।
4. फाइल प्रबंधन (File Management) -
फाइल प्रबंधन (File Management) के संदर्भ में ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System ) की निम्नलिखित कार्य है - (i) फाइल एवं डायरेक्टरी का Creation Deletion एवं Manipulation का कार्य संपन्न कराना।
(ii) फाइलों का सेकेंडरी संग्रह पर मैपिंग (Mapping) करना।
(iii) फाइलों का स्टेबल संग्रह पर बैकअप लेना।
5. सेकेंडरी संग्रह प्रबंधन (Secondary Storage Management) -
ऑपरेटिंग सिस्टम निम्नलिखित कार्य संपन्न कर आता है -(i)Free Space का प्रबंधन, (ii) storage Alloca,(iii)Disk Scheduling.
6. I\O सिस्टम मैनेजमेंट (I\O System Management)-
ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System)डिवाइसेज को प्रभावशाली रूप में प्रयोग उपयोग करने में मदद करता है, एवं उसकी जटिलताओं से यूजर को मुक्त करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम विभिन हार्डवेयर डिवाइसेस (Hardware Device's) के डिवाइसेज ड्राइवर (Device's Drivers) की उपलब्धता भी सुनिश्चित करता है।
7. ऑपरेटिंग सिस्टम के अन्य कार्य (Additional Function Of Operating System)
यह निम्नलिखित हैं-
(i) रिसोर्स एलोकेशन (Resource Allocation) -
(i) ऑपरेटिंग सिस्टम(Operating System) सभी सिस्टम रिसोर्सेज (जैसे CPU, मेमोरी पेरीफेरल आदि) को प्रोसेसर को इस प्रकार Allocate करता है, कि सभी रिसोर्सेज का अच्छे ढंग से उपयोग हो सके।
(ii) एप्लीकेशन प्रोग्राम को क्रियान्वित करना।
(iii) यूटिलिटी प्रोग्रामो को क्रियान्वित करना।
(iv) ऐरर डिटेक्शन।
(v) कम्युनिकेशन तथा नेटवर्किंग।
ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार Tpye Of Operating System
ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार (Tpye Of Operating System)-
(i) मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम (Multi User Operating System)-
मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम में हम एक समय में एक से अधिक एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को कार्यान्वित कर सकते हैं। इनका प्रयोग नेटवर्किंग में किया जाता है। जब हम एक से अधिक कंप्यूटर्स को हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की सहायता से आपस में जोड़ देते हैं, तो इस प्रकार से जुड़े कंप्यूटर्स को कंप्यूटर नेटवर्क कहा जाता है।
मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम पर कार्य करते समय यदि एक समय में एक से अधिक प्रयोग करता सेंट्रल प्रोसेसर का उपयोग करते हैं, तो सभी प्रयोग कर्ताओं द्वारा दिए गए निर्देश क्रमबद्ध टाइम शेयर्ड (Time Shared) विधि का प्रयोग करते हैं। इस विधि द्वारा प्रत्येक प्रयोग करता का टाइम निश्चित हो जाता है। अतः जब एक से अधिक यूजर एक समय में एक प्रोसेसर का प्रयोग करते हैं, तो सबसे पहले प्रोसेसर कुछ समय तक प्रथम प्रयोग करता द्वारा दिए गए निर्देश का पालन करता है, उसके बाद प्रोसेसर प्रथम प्रयोग करता के कार्य को रोक कर दूसरे प्रयोग करता का कार्य करता है। इसके बाद यह क्रम कब तक चलता रहता है जब तक दोनों प्रयोगकर्ताओं द्वारा दिए गए कार्य संपन्न ना हो जाए। यह कार्य प्रणाली सुनने में बहुत लंबी प्रतीत होती है, लेकिन कंप्यूटर प्रोसेसर की गति अत्यधिक होने के कारण प्रत्येक प्रयोग करता को यह अनुभव होता है, की प्रोसेसर द्वारा सिर्फ उसी का कार्य किया जा रहा है। UNIX और WINDOS-NT मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम के अच्छे उदाहरण हैं।
ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा प्रोग्रामों को किस ढंग से अर्थात दिए गए जॉब या टास्क्स (Jobs or Tasks) को कैसे ढंग से संपादित किया जाता है। के आधार पर सभी ऑपरेटिंग सिस्टम को निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-
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1. बैच ऑपरेटिंग सिस्टम (Batch Operating System)-
बैच ऑपरेटिंग सिस्टम, एक सिग्नल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम होता है, जो यूजर द्वारा दिए गए जॉब्स (Jobs)को एक-एक बैच (Batch) मैं एग्जीक्यूट करता है। जॉब को प्रोसेस करने के लिए विभिन्न यूजर डेटा और प्रोग्राम को यूजर को सौंप देते हैं। इसके पश्चात ऑपरेटर एक समान जॉब का अलग-अलग समूह (Groups) बनाकर उन्हें एक साथ कंप्यूटर में लोड (Load) कर लेते हैं। जब एक प्रोग्राम का एग्जीक्यूशन समाप्त हो जाता हैं, तू ऑपरेटिंग सिस्टम दूसरे प्रोग्राम को एग्जीक्यूट करने के लिए लोड (Load) करता है। उदाहरण के लिए मान लेते हैं, एक व्यक्ति ने ऑपरेटर को एक FORTRAN का प्रोग्राम, दूसरे व्यक्ति ने एक COBOL का प्रोग्राम और तीसरे व्यक्ति ने एक दूसरा FORTRAN का प्रोग्राम करने के लिए दिया। अतः ऑपरेटर FORTRAN के प्रोग्राम प्रोसेस को एक बैच में एग्जीक्यूट करने के लिए FORTRAN के कंपाइलर (Compiler)को लोड करेगा और इसके एग्जीक्यूट होने के बाद COBOL के कंपाइलर को लोड कर COBOL के प्रोग्राम को एग्जीक्यूट करेगा। इस प्रकार प्रोग्राम के एक बैच के एग्जीक्यूट होने के बाद दूसरे बैच को एग्जीक्यूट करने के लिए यूजर को स्वत: भी दूसरे कंपाइलर को लोड करने के लिए आवश्यकता होती थी, इस अवधि में CPU का उपयोग नहीं हो पाता था। अतः CPU का अधिकाधिक उपयोग करने के लिए रेसिडेंट मॉनिटर (Resident Monitor) नामक प्रोग्राम का विकास किया गया, जो हमेशा मेमोरी में ही रहता है, और अपनी-अपनी उस जॉब के एग्जीक्यूशन के बाद दूसरे जॉब को एग्जीक्यूट करता है। ज्ञात हो कि रेसिडेंट मॉनिटर (Resident Monitor)कंट्रोल कार्ड (Control Card)पर प्रोग्राम द्वारा लिखे गए निर्देशों के अनुसार कार्य करता है। कंट्रोल कार्ड पर प्रोग्रामर द्वारा जिस लैंग्वेज निर्देश (Commands) लिखे जाते हैं, उसे जॉब कंट्रोल लैंग्वेज (Job Control Language) कहा जाता है।जॉब कंट्रोल लैंग्वेज में लिखी गई कमांड्स को यूजर्स के डाटा और प्रोग्राम के बेचेज (Batches)मैं सन्निहित (Include) किया जाता है।
बैच ऑपरेटिंग सिस्टम, उन एप्लीकेशन के लिए उपयुक्त होता है, जिस में लगने वाला कंप्यूटेशन (Computation Time) अधिक होता है, और प्रोसेसिंग के दौरान यूजर के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती है। पे-रोल प्रोसेसिंग (Pay-Roll Processing), मौसम की फोरकास्टिंग (Weather Forecasting) आदि ऐसे एप्लीकेशन के कुछ उदाहरण है।
2. मल्टीप्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Multi-Programming Operating System)-
मल्टीप्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम एक साथ, एक से अधिक प्रोग्राम्स अर्थात जॉब (Jobs) को लोड (Load) कर एग्जीक्यूट कर सकते हैं।
मल्टीप्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप Multi Operating System
(i) मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम (Multi User Operating System) -
यह ऑपरेटिंग सिस्टम किसी कंप्यूटर सिस्टम के संसाधनों ( Resources) पर एक से अधिक यूजर्स को अपने-अपने टर्मिनल (Terminal) के माध्यम से एक साथ एक्सेस (Access) करने की अनुमति /सुविधा देते हैं। Windows NT,UNIX,LINUX आदि मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम है।
(ii) मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Multitasking Operating System)-
मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम को मल्टिप्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Multitasking Operating System) भी कहा जाता है। मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम विभिन्न जॉब (Jobs) को एक से अधिक प्रोसेसर (Processor) पर एग्जीक्यूट करते हैं अर्थात मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम जॉब को एग्जीक्यूट करने के लिए एक से अधिक प्रोसेसर को हैंडल (Handle) करते हैं। किसी भी प्रोग्राम को एग्जीक्यूट करने की स्थिति को टास्क अथवा प्रोसेस (Task or Process) कहां जाता है। मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम, दो या दो से अधिक प्रोसेस (Process) को एक साथ एग्जीक्यूट कर सकता है।
(iii) टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम ( Time Sharing Operating System)-
टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम, क्विक रिस्पांस टाइम (Quick Response Time)के साथ Interactive Mode मैं कार्य करता है। इसके लिए इसमें टाइम-शेयरिंग (Time Sharing) तकनीकी का प्रयोग किया जाता है। टाइम-शेयरिंग (Time Sharing) में प्रत्येक यूजर को एक पूर्व-निर्धारित क्रम में CPU को एक कुछ समय (एक निश्चित समय के लिए) एलोकेट (Allocate) किया जाता है। यह निश्चित समय-टाइम स्लाइस (Time Slice) चलाता है। एक टाइम स्लाइस 10 से 100 मिलीसेकंड का हो सकता है।
टाइम शेयरिंग का कार्यान्वयन (Implement) करने के लिए शेड्यूलर (Scheduler), राउंड रोबिन शेड्यूलिंग एल्गोरिथम (Round Robin Scheduling Algorithm) का प्रयोग किया जाता है। आत: शेड्यूलर राउंड रोबिन शेड्यूलिंग एल्गोरिथम का प्रयोग करते हुए प्रत्येक यूजर को एक-एक टाइम स्लाइस एलोकेट करता है। जैसे ही एक यूजर का टाइम स्लाइस समाप्त होता है, ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा अगले यूजर को एक टाइम स्लाइस एलोकेट कर दिया जाता हैं। इस टाइम स्लाइस की अवधि इतनी कम होती है, की किसी भी यूजर को यह भान नहीं हो पाता है, कि उसका कार्य CPU द्वारा नहीं किया जा रहा है, दूसरे शब्दों में टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम मैं टाइम स्लाइस के माध्यम से प्रत्येक यूजर को CPU टाइम को इतनी तेजी से और समान मात्रा में एलोकेट किया जाता है कि प्रत्येक यूजर को ऐसा प्रतीत होता है कि वह अकेला ही उस कंप्यूटर पर कार्य कर रहा है।
3. रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम (Realtime Operating System)-
रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम प्रत्येक जॉब (Jobs) को एक निश्चित समयावधि, डेडलाइन (Deadline) कहां जाता है, के अंदर संपादित करता है। रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रमुख उद्देश्य क्विक रिस्पांस टाइम,(Quick Response Time) प्रदान करता है। कंप्यूटर के संसाधनों (Resources) का अत्यधिक उपयोग करना इसकी प्राथमिकता होती है; जबकि यूजर के कार्य करने की सुविधा की प्रमुखता द्वितीय स्तर पर होती है। क्विक रिस्पांस टाइम (Quick Response Time) प्रदान करने के लिए प्रोसेसिंग अधिकांश समय मेन मेमोरी में होती रहती है। यदि कोई जॉब निर्धारित समयावधि (Fixed Deadline) के अंदर पूरा नहीं हो पाता है, तो ऐसी स्थिति को डेडलाइन ओवरअन (Deadline Overrun) कहते हैं। रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम को डेडलाइन ओवरअन (Deadline Overrun) जैसी स्थिति को कम से कम घटित होने देना चाहिए।
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