Database sysem कई modules में विभाजित रहता हैं, जोकि संपूर्ण system की समस्याओ से related होते है।database के प्रमुख अवयव निम्नाकित हैं -
(i) DML प्रीकम्पाइलर (DML Precompiler)-
यह एप्लिकेशन प्रोग्राम के साथ निहित DML स्टेटमेन्ट्स को सामान्य प्रोसीजर कॉल में परिवर्तित करता है। प्रोसेसर को निश्चित कोड बनाने के लिये क्वैरी प्रोसेसर से सम्बन्धित रहना आवश्यक होता है। DML प्रीकम्पाइलर, DML स्टेटमेंट को क्वैरी लैंग्वेज में एक इवैल्यूएशन प्लान (Evaluation Plan) में ट्रांसलेट (translate) करता है, जो ऐसे लो-लेवल इन्सट्रक्शन (Low level instruction) का बना होता है, जिसे क्वैरी इवैल्यूएशन इंजिन (Query Evaluation engine) समझता है ।
(ii) क्वैरी इवैल्यूएशन इंजिन (Query Evaluation Engine)-
यह DML कम्पाइलर द्वारा जैनरेट (generate) की गई लो-लेवल इन्स्ट्रक्शन (low level instruction) को एक्जीक्यूट (Execute) करता है।
(ii) DDL कम्पाइलर (DDL Compiler) -
DDL कम्पाइलर द्वारा डेफिनेशन स्टेटमेंन्ट्स को टेबल्स के सेट (set) में परिवर्तित किया जाता है। ये टेबल्स सम्बन्धित डाटाबेस के बारे में जानकारी रखते हैं। DDL कम्पाइलर उन्हें इस फॉर्म में रखता है, जिससे DBMS के अन्य कम्पोनेन्ट्स (components) उनका उपयोग कर सकें।
(iv) स्टोरेज मैनेजर (Storage Manager) -
एक व्यावसायिक संस्थान में किसी डाटाबेस को स्टोर करने के लिये पर्याप्त स्टोरेज स्पेस की आवश्यकता होती है, और उसे व्यवस्थित रखने के लिये स्टोरेज मैनेजर (storage manager) की आवश्यकता होती है। आवश्यकता के अनुसार डाटा को डिस्क स्टोरेज और मेन मैमोरी (main memory) के मध्य मूव (move) किया जाता है, क्योंकि सम्पूर्ण डाटा को मेन मैमोरी में स्टोर नहीं किया जा सकता है।
स्टोरेज मैनेजर एक प्रोग्राम मॉड्यूल है , जो डाटाबेस में स्टोर किये गये low level डाटा और सिस्टम को सबमिट (Submit) किये गये एप्लिकेशन प्रोग्राम व डाटा के बीच इंटरफेस (interface) प्रदान करता है । स्टोरेज मैनेजर, फाइल मैनेजर के साथ सम्बन्ध रखता है, क्योंकि फाइल मैनेजर द्वारा एक फाइल सिस्टम का उपयोग करके प्रारम्भिक डाटा डिस्क पर स्टोर किया जाता है। यह फाइल सिस्टम मुख्यतः कन्वेंशनल (conventional) ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। स्टोरेज मैनेजर विभिन्न DML स्टेटमेंन्ट्स को low level फाइल सिस्टम कमाण्ड्स में बदलता है। स्टोरेज मैनेजर में मुख्यतः निम्नलिखित अवयव शामिल रहते हैं-
(अ) ऑथोराइजेशन और इन्टीग्रिटी मैनेजर (Authorisation and Integrity Manager)-
यह इन्टीब्रिटी कन्स्ट्रेट्स को चैक (correct) करता है , और जो भी यूजर डाटा एक्सेस करे, उसकी अथोरिटी (authority) को भी चैक करता है।
(ब) ट्रान्जैक्शन मैनेजर (Transaction Manager)
यह इस बात को सुनिश्चित करता है, कि डाटाबेस बिल्कुल ठीक-ठाक (correct) अवस्था में है या नहीं। इसके लिये चाहे सिस्टम ही खराब क्यों न हो जाये। यह भी उसका ही दायित्व है कि सभी ट्रान्जैक्शन सही-सही एक्जीक्यूट (execute) हो जायें।
(स) बफर मैनेजर (Buffer Manager)
यह निर्णय लेता है। बफर मैनेजर DBMS का महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यह डाटाबेस को मेन मैमोरी से बड़े डाटाबेस को संभालने लायक बनाता है।
(i) डाटा फाइल्स (Data Files)
यह डाटा को स्टोर करती है।
(ii) इनडायसेस (Indices)
यह उन डाटा आइटम को तेजी से एक्सेस करने में मदद करती है, जिसमें कोई महत्त्वपूर्ण वैल्यूज होती हैं।
(iii) क्वैरी प्रोसेसर (Query Processor)
क्वैरी प्रोसेसर का उपयोग यूजर द्वारा दी गई क्वैरी को समझने और उन्हें श्रृंखलाबद्ध ऑपरेशन (operation) में बदलने में किया जाता है। Query processor डाटा डिक्शनरी का उपयोग database के निश्चित भाग के structure को ढूँढ़ने में करता है, तथा इस जानकारी का प्रयोग query को बदलने तथा database को access करने की निश्चित योजना बनाने में करता है।
(iv) स्टेटिस्टिकल डाटा (statistical Data)
यह database में stor data के बारे मैं statistical जानकारी store करता है।
(v) Example
किसी Bank में clerk account का balance जानने के लिए cash के निकाले जाने व जमा किये जाने की जानकारी रखता है।
(vi) Example
किसी Hotel, Railway, Airlines Office में clerk किसी reservation (रिजर्वेशन) की query करता है या उपलब्ध होने की प्रक्रिया चेक करता है।
Database Management System के Advantages (लाभ) तथा Disadvantages (हानियाँ)
Database Management System के निम्न लाभ हैं-
(i) Data Sharing
Database उत्तर हमें इस बात की इजाजत (permission) देता है, कि एक अधिक record को एक ही समय पर use किया जा सकता है। इस process को data sharing कहते हैं। data sharing में एक से अधिक व्यक्तियों के बीच में भी data को (share) आदान-प्रदान कर सकते हैं।
(ii) Reduction and Redundancy
Database administration द्वारा control की वजह से अनुपयुक्त data, system में store नहीं होता है, क्योंकि वह यही देखता है कि यह अनुपयुक्त data जो system में डाला जा रहा है, उसकी हमें आगे आवश्यकता है कि नहीं। इस प्रकार के store को वह रोकता है। इसमें कई बार ऐसे data को रोका जाता है, जो पहले से store हो या मौजूद हो फिर उसकी पहचान कराई जाती है। इस प्रकार के data को redundent data कहते हैं।
(iii) Data Integrity
Data integrity का means (अर्थ) data का सही होना होता है। DBA द्वारा control होने के कारण यह भी कह सकते हैं, कि समय-समय पर DBMS की जाँच होती है या होती रहे, जो data store होने के लिए भेजा जा रहा है, वह सही है कि नहीं उसके स्थान का भी ध्यान रखा जाता है।
(iv) Data Security
किसी भी संगठन के लिए data बहुत ही आवश्यक और गोपनीय होता है, जिसके कारण उनकी सुरक्षा आवश्यक होती है। इसलिए DBA को यह देखना होता है, कि कोई गलत व्यक्ति संगठन के data के पास तो नहीं जा रहा है। संगठन के कर्मचारियों को कितना data देना उचित होगा, DBA यह भी ध्यान रखता है। कोई user संगठन के data को मिटा न दे इसलिए वह हर व्यक्ति को अलग अलग access की permission देता है।
(v) Data Independent
DBMS में data दो तरह का data independent होता है-
(a) Physical Data Independent
इस प्रकार की independent में हम अपने data source को दूसरी data source में transfer करना चाहेंगे तो application programme में बिना किसी modification के data को चेंज कर सकते हैं।
(b) Logical Data Independent-
अगर हम database की संरचना change करना चाहें तो उसमें कुछ मिटाए बिना application program को change कर सकते हैं।
(vi) Data Isolation
चूंकि data विभिन्न files में बिखरा हुआ रहता है, और files भिन्न-भिन्न format में होती है, अत उपयुक्त डाटा को एकीकृत करने तथा retrieve करने के लिए application programme लिखना कठिन होता है।
(vii) Difficulty in Data Accessing
(viii) Atomicity Problem
(ix) Concurrent Access Anomalies
Database management system की निम्न हानियाँ हैं
- Hardware, software व ट्रेनिंग में
- Data को व्यक्त करने व process करने में।
- Data सुरक्षा, data control तथा अन्य function में
- DBMS की कार्य प्रणाली अति जटिल होती है।
- इसका प्रबंधन व रख - रखाव कठिन है।
- इसके कार्यान्वयन के लिए होशियार computer प्रोफेशन की आवश्यकता होती है ।
- इससे data को विकसित करने व डिजाइन करने में अधिक समय लगता है।
इस अतिरिक्त यदि database designer व DBA, Database को ठीक प्रकार से डिजाइन नहीं करते हैं, तो कई अन्य समस्याएँ उत्पन्न हो जाती है। अतः निम्नलिखित स्थितियों में DBMS का प्रयोग न करके पारम्परिक file management का प्रयोग करना चाहिए।
- जब database सरल व अच्छी तरह से व्यक्त किया गया हो।
- जब database में परिवर्तन की कोई उम्मीद न हो।
- जब database का प्रयोग करने वाले ज्यादा न हो।
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