E-Commerce Ka Parichay Kya Hai, इलेक्ट्रॉनिक ई - कॉमर्स तथा पारंपरिक कॉमर्स मैं अंतर And प्रकार



ई-कॉमर्स यानी इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स का अर्थ है व्यापार को इंटरनेट के माध्यम से किया जाना। इसमें ऑनलाइन बिक्री, खरीदारी, भुगतान, विनिमय और समान आदि के व्यवसाय की गतिविधियाँ शामिल होती हैं। आजकल ई-कॉमर्स बढ़ती हुई व्यवसाय श्रृंखलाओं का अहम हिस्सा बन गया है, जो ऑनलाइन उत्पादों और सेवाओं को बेचते हैं।

पारंपरिक कॉमर्स का अर्थ है उस व्यापार को जिसमें उत्पादों को दुकानों, बाजारों या मॉल्स में बेचा जाता है और ग्राहकों को उत्पादों को खरीदने के लिए वहाँ जाना पड़ता है। इस प्रकार का व्यवसाय वर्तमान समय में भी बहुत महत्वपूर्ण है।

इलेक्ट्रॉनिक ई-कॉमर्स तथा पारंपरिक कॉमर्स में अंतर कुछ इस प्रकार होता है कि ई-कॉमर्स व्यवसाय ऑनलाइन माध्यम से होता है, जबकि पारंपरिक कॉमर्स ऑफलाइन माध्यम से होता है। दूसरा अंतर यह होता है कि ई-कॉमर्स बहुत से अलग-अलग ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करता है।

E-Commerce Ka Parichay Kya Hai, इलेक्ट्रॉनिक ई - कॉमर्स तथा पारंपरिक कॉमर्स मैं अंतर And प्रकार
E-COMMERCE


1. E-Commerce Introduction (ई-कॉमर्स परिचय)-

हम सब जाने अनजाने ई-आप जाने की गांव में केसे खान पान का ध्यान रखना पड़ता है। बहुत ही शानदार तरीके से ध्यान रखते हैं। गांव के लोग पिओरे खाना दिया जाता हैं।

"अभी से बीस साल पहले जब इंटरनेट का व्यापक उपयोग नहीं होता था, व्यापार का स्वरूप बिलकुल अलग था। और आज देखे तो कई बदलाव हो चुके हैं।व्यापारी और ग्राहकों के बीच संवाद स्थानीय सीमा में ही संभव था। और बता दें कि व्यापारी स्थानीय समाचर पत्र या व्यक्तिगत संपर्कों से ही व्यापार और ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा करता था। 

जैसा कि हम जानते ही हैं। इंटरनेट शुरू होने के साथ ही इस परंपरा में बहुत कुछ बदलाव आ गया है । इंटरनेट के उपयोग से एक नए तरह का ज्यादा प्रभावी फायदा और एक अधिक कुशल बाजार बनाने में मदद मिली है । व्यवसाय अब अपने अस्तित्व के लिए अपने स्थानीय ग्राहक या वातावरण पर निर्भर नहीं है। अब दुनिया भर में इसके सामान और सेवाओं के ग्राहक हो सकते हैं। छोटे बड़े , स्थानीय या अंतराष्ट्रीय व्यवसाय आज इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं।

(paytm) फोन-पे (phone-pe) या डाटा एसएमएस (sms), ई पुस्तकालय का उपयोग का इंटरनेट या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से आदान प्रदान ही किया ही ई कॉमर्स है। इंटरनेट के जरिये व्यापार करना ही ई कॉमर्स है। ई कॉमर्स में ग्राहक के पास अपने पसंद और सुविधा से वस्तुएं देखना पसंद करना, बेचना और सुविधाओं का उपयोग बेहद आसान हो गया है। जिसे हमे बहुत सुविधा का लाभ मिलता है। जिसे हमे किसी चिंता का बिसय बन कर जीना नही होता है।

यह ऐसी तकनीक है जो व्यावसायिक संस्थानों में बेचने वाले, खरीदने वाले की आवश्यकताओं को समझते हुए, कम दाम में अच्छा और जल्दी सामान और सुविधा उपलब्ध कराता है। 

Following are the differences between electronic commerce and traditional commerce | इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स तथा पारंपरिक कॉमर्स मैं निम्नलिखित अंतर है -

इलेक्ट्रॉनिक तथा पारंपरिक कॉमर्स के मध्य बहुत अंतर है। तथा दोनों बिलकुल ही अलग-अलग रूप में काम करते हैं-

2. Traditional Commerce (पारंपरिक कॉमर्स)-

1. यह स्थानीय या एक निश्चित क्षेत्र में व्यवसाय करता है ।

2. व्यवसाय की सभी गतिविधियां मैन्युअल अर्थात व्यक्तियों द्वारा की जाती हैं। 

3. इस तरह के व्यवसाय में सूचनाओं का आदान-प्रदान व्यक्तियों पर निर्भर करता है। यह व्यक्तियों के द्वारा प्रसारित गतिविधि है अतः व्यक्तिगत संवाद पर इसकी पूरी निर्भरता होती है। 

3. E-Commerce (ई-कॉमर्स)-

1. ई-कॉमर्स वैश्विक (ग्लोबल) व्यवसाय व्यवस्था के लिए इंटरनेट जैसे-की शॉपिंग की तयारी करना बहुत आसान है।

3. इसमें इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन चैनल का उपयोग मुख्य है, अतः व्यक्तियों द्वारा सूचना के आदान-प्रदान पर बहुत कम निर्भर होता है। ई कॉमर्स वेबसाइट इस तरह का वातावरण तैयार करते हैं जिसमें सभी जानकारी एक ही जगह उपलब्ध हो और सभी तक इंटरनेट द्वारा उपलब्ध हो।

4. Types of e-commerce (ई-कॉमर्स के प्रकार)- 

1. बिजनेस टू बिजनेस (B2B) - 

जब व्यापार दो व्यवसाय के बीच हो अर्थात सामान बेचने वाला और खरीदने वाला दोनों ही व्ययसाई हो। इसमें अंतिम उपभोक्ता अर्थात ग्राहक सम्मिलित नहीं होता। उदाहरण एक सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी किसी अन्य व्यापारी को उसके उपयोग के लिए सॉफ्टवेयर बना कर दे इसमें दोनों ही व्यवसाई हैं।

2. बिजनेस कंज्यूमर (B2C) -

यह इंटरनेट पर कॉमर्स यानी व्यापार का खुदरा रूप है । जब व्यापारी वस्तु या सेवाएं व्यक्तिगत उपभोक्ता को पहुंचा दें , उपभोक्ता यानी ग्राहक व्यवसाय की वेबसाइट के माध्यम से व्यवसाई तक पहुंते हैं।आवश्यक वस्तु को उसके चित्र विवरण तथा अन्य लोगों की मन की पढ़कर मंगवाए तथा व्यवसाई सीधे सामान उपभोक्ता को उसके घर या बताएं स्थान पर ही

3. कंज्यूमर टू कंज्यूमर (C2C)-

इस तरह के मॉडल में कंज्यूमर यानी ग्राहक स्वयं ही सामान, सेवाएं अन्य ग्राहक तक पहुंचा दे, जिनके बीच में कोई कंपनी उपस्थित नहीं है। इस तरह के व्यापार में व्यक्ति स्वयं अपना सामान अन्य व्यक्तियों को बेच या खरीद सकता है। यह सामान्यतः एक तीसरे व्यक्ति या पार्टी के माध्यम से किए जाने वाला मॉडल है। यहां तीसरा व्यक्ति या पार्टी ऐसा ऑनलाइन माध्यम उपलब्ध कराते हैं, जिसके द्वारा कंज्यूमर और कंज्यूमर के मध्य लेन देन होता है।

4. C2B (कंज्यूमर टू बिजनेस)-

यह B2C के बिल्कुल विपरीत कार्य करने वाला मॉडल है। इसमें उपभोक्ता व्यवसाई/व्यापारी को सामान या सेवाएं प्रदान कराता है। ऐसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जिन पर व्यक्ति अपने काम या सेवाएं किसी निश्चित व्यवसाय के लिए उपलब्ध कराते हैं।

उदाहरण स्वतंत्र रूप से काम करने वाले फ्रीलांसर यह आईटी कंप्यूटर ग्राफिक्स आदि के प्रोफेशनल हो सकते हैं, जो अपना उत्पाद बनाकर ऑनलाइन माध्यमों द्वारा जिस व्यवसाय को उसकी आवश्यकता हो उपलब्ध कराते हैं।

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