Monitor Kya Hai In Hindi
मॉनिटर से मतलब मोनोक्रोम और कलर डिस्प्ले डिवाइसेस (Monochrome and Colour Display devices) से है। मोनो (Momo) का अर्थ है एकल (Single) और क्रोम (Chrome) का अर्थ रंग (Colour) इसलिए। मोनोक्रोम डिस्प्ले डिवाइस, एकल रंग (Colour) के मॉनिटर होते हैं। जैसे ब्लैक एंड व्हाइट टी.वी.। कलर मॉनिटर रेड -ग्रीन -ब्लू, (Red -Green -Blue -RGB) प्रकार का होता है। अधिकांश मॉनिटर रो में पिक्चर ट्यूब एलिमेंट (Picture Tube Element) होता है। जो कि टी.वी. सेट के ही समान होता है। यह यूट्यूब सी.आर.टी. (CRT -Cathode Ray tube) कहलाती है। मॉनिटर का लाभ यह है कि जब हम कीबोर्ड से टाइप करते हैं तो यह टाइप किए गए अक्षरों को स्क्रीन पर दिखाता है टाइप करने में यदि कोई गलती हो तो वह हमें तुरंत स्क्रीन पर दिखाई पड़ जाती है। इसके अलावा कंप्यूटर की अधिकतर क्रियाओं को यह निरंतर स्क्रीन पर दिखता रहता है। मोनिटर पर आकृति छोटे-छोटे बिंदुओं से मिलकर बनी बनती है। यह बिंदु पिक्सएल कहलाते हैं पिक्सेल स्क्रीन पर पक्ति और कॉलम में होते हैं प्राय: पक्तियो की संख्या 480 और कॉलमो की संख्या 640 होती हैं पक्ति और कॉलमो का गुणनफल रेजोल्यूशन कहलाता है।
मॉनिटर के प्रकार-
मॉनिटर रंग एवं तकनीकी के आधार पर निम्न प्रकार के
होते हैं -
डिस्प्ले किए जाने वाले रंगों के आधार पर मॉनिटर तीन प्रकार के होते हैं -
(i) मोनोक्रोम मॉनिटर -
यह मॉनिटर व्हाइट स्क्रीन पर ब्लैक कलर से अथवा ब्लैक स्किन पर वाइट कलर से डिस्प्ले करते हैं।
(ii) ग्रे-स्केल मॉनिटर-
यह एक प्रकार का मोनोक्रोम मॉनिटर ही है किंतु यह ग्रे कलर के विभिन्न प्रकारों को डिस्प्ले करता है।
(iii) कलर मॉनिटर -
यह बहुरंगी डिस्प्ले करते हैं। वर्तमान में 16 रंगों से लेकर 1 लाख रंगों तक डिस्प्ले करने वाले मॉनिटर उपलब्ध है। मुख्यतः इसमें तीन रंग लाल, पीला और हरा होता है। जो भिन्न-भिन्न प्रतिशत में मिलकर विभिन्न रंगों का निर्माणकरता हैं।
2. सिग्नल के आधार पर वर्गीकरण -
इस आधार पर मॉनिटर निम्न प्रकार के होते
हैं -
(i) एनालॉग मॉनिटर -
यह मॉनिटर का परंपरागत स्वरूप है। वर्तमान में सीआरटी(CRT) तकनीकी पर आधारित मॉनिटर एनालॉग है। इसकी मुख्य आवश्यकता विजुअल ग्राफिक्स ऐरे एवं सुपर विजुअल ग्राफिक्स ऐरे के लिए होता है।
(ii) डिजिटल मॉनिटर -
यह डिजिटल सिग्नल की रिसीव करता है। इसका डिस्प्ले साफ और तेज होता है परंतु यह परिवर्तनीय रंगों को निरंतर प्रदर्शित नहीं कर सकते।
3. तकनीक के आधार पर वर्गीकरण-
तकनीक के आधार पर मॉनिटर दो प्रकार के
होते हैं -
(i) कैथोड रे ट्यूब (CRT) -
सीसिरेआरटी मॉनिटर की पिक्चर ट्यूब होती है इस ट्यूब के अंतिम पर नेगेटिव चार्ज धरी कैथोड लगा होता है। इलेक्ट्रॉन गन ट्यूब वैसे इलेक्ट्रॉन भेजती है। जो पॉजिटिव चार्ज धारी स्क्रीन से टकराते हैं यह स्क्रीन डॉट्स के पैटर्न से कोडेट होती है, जो इलेक्ट्रॉन के टकराने से चमकने लगती है जिससे स्क्रीन पर इमेज बनती है। (CRT) सीआरटी ब्लैक एंड वाइट और कलर दोनों मॉनिटर में उपलब्ध होती है।
(ii) फ्लैट पैनल मॉनिटर -
सीआरटी (CRT) आकार में बड़ा होने की वजह से छोटे आकार के फ्लैट पैनल मॉनिटर ज्यादा प्रचलन में आ गए हैं। फ्लैट पैनल मॉनिटर में लिक्विड क्रिस्टल पर आधारित तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इसका सर्वाधिक प्रचलित प्रकार लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले (LCD)मॉनिटर है। शुरुआत में इस पैनल का उपयोग लैपटॉप (Laptop) में किया गया था, पर जब यह समान से डेक्सटॉप कंप्यूटर में भी लोकप्रिय है।लैपटॉप पैनल मॉनिटर तकनीक के आधार पर दो प्रकार के होते हैं-
(a) पैसिक मैट्रिक्स डिस्प्ले। (b) एक्टिव मैट्रिक्स डिस्पले।
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(iii) एलईडी -
आजकल बाजार में LED ( light Emitting Display) मॉनिटर उपलब्ध है, जो कम बिजली की खपत करता है, एवं रखरखाव रख करने में भी अधिक सरल है।
मॉनिटर की विशेषताएं -मॉनिटर के प्रमुख लक्षण एवं विशेषताएं निम्नलिखित हैं -
1.रेजोल्यूशन (Resolution)-
रेजोल्यूशन (Resolution) डिस्प्ले का महत्वपूर्ण लक्षण होता है - रेजोल्यूशन या स्क्रीन के चित्र की स्पष्टता(Sharpness) । अधिकतर डिस्प्ले (Display) डिवाइसेज मे इमेज (Emage) स्क्रीन के छोटे-छोटे डॉट्स(Dots) पिक्सएल (Pixels) कहलाते हैं। यहां पिक्सएल शब्द पिक्चर एलिमेंट (Picture Element) का संक्षिप्त रूप है। स्क्रीन पर इकाई क्षेत्रफल में पिक्सेल की संख्या रेजोल्यूशन को व्यक्त करती है। स्क्रीन पर जितने पिक्सएल होंगे, स्क्रीन का रेगुलेशन भी उतना ही अधिक होगा अर्थात उतना ही स्पष्ट होगा। एक डिस्पले रेजोल्यूशन माना 640by 480 है तो इसका अर्थ यह है कि स्क्रीन 640 डॉट के स्तंभ (Cilumn) और 480 डॉट की पत्तियों (Rows) से बनी है।
अक्षर या कैरेक्टर (Character) स्क्रीन पर डॉट मैट्रिक्स (Dot Matrix) विन्यास से बने होते हैं। मैट्रिक्स का आकार 5 × 7 = 35 पिक्सेल या 7 × 12 = 48 पिक्सेल के रूप में टेक्स्ट डिस्प्ले करने के लिए होता है। इस प्रकार एक स्क्रीन पर 65 कैरेक्टर की 25 पत्तियां डिस्प्ले की जा सकती है। स्क्रीन पर हम इससे अधिक रेजोल्यूशन (Resolution) प्राप्त कर सकते हैं।
2. रिफ्रेश रेट (Refresh Rate)-
कंप्यूटर मॉनिटर लगातार कार्य करता है, जबकि इसका अनुभव हम साधारण आंखों से नहीं कर सकते हैं। कंप्यूटर स्क्रीन पर इमेज दाएं और दाएं से बाएं तथा ऊपर से नीचे इलेक्ट्रॉनिक गन के द्वारा परिवर्तित होती रहती है किंतु इसका अनुभव हम स्क्रीन के क्लिक होने के बाद ही कर पाते हैं। स्क्रीन के रिफ्रेश होने पर होने का अनुभव हम तब कर पाते हैं जब स्क्रीन तेजी से परिवर्तित नहीं होती है। मॉनिटर की रैट को हर्ट्ज (Hz) में नापते हैं। पूर्व के मापदंडों के अनुसार मॉनिटर की रिफ्रेश रेट 60 Hz थी परंतु नए मापदंडों में इसका माप 75 Hz कर दिया गया है इसका तात्पर्य हैं की मॉनिटर पर डिस्प्ले 1 सेकंड में 75 बार तरह परिवर्तित होता है। इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि जितना अधिक रिफ्रेश रेट होगा मॉनिटर उतना कम कलेक्ट करेगा।
3. डॉट पिच (Dot Pitch) -
डॉट पिच ( Dot Pitch) एक प्रकार की मापन तकनीक है जो यह दर्शाता है कि प्रत्येक पिक्सेल (Pixel) के मध्य कितना ऊर्ध्वाधर अंतर है। डॉट पिच का मापन मि.मी.में किया जाता है। यह एक ऐसा गुण है जो डिस्प्ले मॉनिटर गुणवत्ता को स्पष्ट करता है। एक कलर मॉनिटर जो कि पर्सनल कंप्यूटर में प्रयोग किया जाता है, उसकी डॉट पिच की रेज 0.15 mm से .30 mm तक होती हैं।
4. बिट मैपिंग (Bit Mapping)-
आउटपुट डिस्प्ले करने के लिए जो तकनीक काम में लाते हैं, वह बिट मैपिंग ( Bit Mapping) कहलाती है।इस तकनीक में बिटमैप ग्राफिक्स का प्रत्येक पिक्सेल (पीएल Pixel) ऑपरेटर द्वारा स्क्रीन पर नियंत्रित होता है। इससे मॉनिटर किसी भी आकृति की ग्राफिक्स स्क्रीन पर बना देते हैं।
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